शनिवार, 8 सितंबर 2012

The Rain

ज ल ती  ध र ती की तपिश से अम्बर को भी जलन होती है
इसलिए तो बारिश की बुँदे धरा को भिगोती है 
मृत हुए जीवों को जैसे जीवंदान मिला
सूखी हुई फसलों को एक नया प्राण मिला
उदास हुए मन में उमंग नई पिरोती है
इसलिए बारिश की बुँदे धरा को भिगोती है
अपने स्वार्थ की खातिर पेड़ो को काट दिया
प्र कृ  ति  की सुन्दरता का जिस मानव ने नाश
किया
उसी मनुष्य की आँखे जब भी  भूख से रोती है
बारिश की बुँदे  धरा को भिगोती है

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