आरी ने घायल किये , हरियाली के पाँव !
कंक्रीट में दब गया , होरी वाला गाँव !!
दूर शहर की चिमनियाँ देती आभास !
जैसे बीडी पी रहे, बूढ़े कई उदास !!
वन्य जीव मिटते रहे, कटे पेड़ दिन रात !
तो एक दिन मिट जाएगी , खुद आदम की जात !!
अब धरती आकाश पर खाओ रहम हुजूर!
बदल रहे हैं रात- दिन , मौसम के दस्तूर !!
सूखा , बाढ़ , आकाल नित्य कर रहे वार !
आखिर धरती कब तक सहे अत्याचार !!
धुंध , धुएं ने दिया , हरियाली को मेट !
चिड़िया फिरती न्याय को , लिए वेडियो टेप !!
प्रदुषण के घात दी , रोगी हुए हकीम !
असमय बुढा हो गया , आँगन वाला नीम !!
आरी मत पैनी करो , जंगल करे गुहार !
जीवन भर दूंगा तुम्हे , मैं अनगिनत उपहार !!
कंक्रीट में दब गया , होरी वाला गाँव !!
दूर शहर की चिमनियाँ देती आभास !
जैसे बीडी पी रहे, बूढ़े कई उदास !!
वन्य जीव मिटते रहे, कटे पेड़ दिन रात !
तो एक दिन मिट जाएगी , खुद आदम की जात !!
अब धरती आकाश पर खाओ रहम हुजूर!
बदल रहे हैं रात- दिन , मौसम के दस्तूर !!
सूखा , बाढ़ , आकाल नित्य कर रहे वार !
आखिर धरती कब तक सहे अत्याचार !!
धुंध , धुएं ने दिया , हरियाली को मेट !
चिड़िया फिरती न्याय को , लिए वेडियो टेप !!
प्रदुषण के घात दी , रोगी हुए हकीम !
असमय बुढा हो गया , आँगन वाला नीम !!
आरी मत पैनी करो , जंगल करे गुहार !
जीवन भर दूंगा तुम्हे , मैं अनगिनत उपहार !!
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