भीड़ भरी इस दुनिया में हम इक चेहरा पहचान गए !
उसकी आँखों की उम्मीदों को हम पल में गए !!
लिए हथेली पर सूरज को वो परदेसी निकला था !
उजियारे के दुश्मन सारे शस्त्र उसी पे तान गए !!
दरवाजे पर उसने दस्तक दी तब हम भी चौंके थे !
उसकी कुछ कहने की जिद्द पर हम भी कहना मान गए !
घर से निकला था दुनिया को कुछ दस्तूर बताने को !
दुनिया के दोहरेपन से ही उसके सब अरमान गए !!
कुछ आंसू , कुछ उम्मीदें , कुछ सपने अपने छोड़ गया !
उस यायावर की खातिर , हम सारी दुनिया छान गए गए !!
उसकी आँखों की उम्मीदों को हम पल में गए !!
लिए हथेली पर सूरज को वो परदेसी निकला था !
उजियारे के दुश्मन सारे शस्त्र उसी पे तान गए !!
दरवाजे पर उसने दस्तक दी तब हम भी चौंके थे !
उसकी कुछ कहने की जिद्द पर हम भी कहना मान गए !
घर से निकला था दुनिया को कुछ दस्तूर बताने को !
दुनिया के दोहरेपन से ही उसके सब अरमान गए !!
कुछ आंसू , कुछ उम्मीदें , कुछ सपने अपने छोड़ गया !
उस यायावर की खातिर , हम सारी दुनिया छान गए गए !!
1 टिप्पणी:
nice one :)
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